गली गली लालू बसे,घर घर में सुखराम
दास भास्कर कह रहा सबके दाता राम
मार भगाया ठगों को डकैत हैं कमजोर
तिकड़म से मंत्री बनें कितने सुविधाखोर
सबके दाता राम कटोरों बढ़ते जाओ
बने धर्म निरपेक्छ ठाठ से मारो खाओ
कहे कबीर कहा सुनी,तुलसी मारे मंत्र
जैसे तैसे गांव में जीवित है गणतंत्र
छूंछ छूंछ रह जाए किनारे,सार सार बह जाए
भास्कर बुरा न मानिेए जो गंवार कह जाए
दास भास्कर कह रहा सबके दाता राम
मार भगाया ठगों को डकैत हैं कमजोर
तिकड़म से मंत्री बनें कितने सुविधाखोर
सबके दाता राम कटोरों बढ़ते जाओ
बने धर्म निरपेक्छ ठाठ से मारो खाओ
कहे कबीर कहा सुनी,तुलसी मारे मंत्र
जैसे तैसे गांव में जीवित है गणतंत्र
छूंछ छूंछ रह जाए किनारे,सार सार बह जाए
भास्कर बुरा न मानिेए जो गंवार कह जाए
जो मैंने पोथी पढ़ी, वही पढ़े तुम ग्रंथ।
ReplyDeleteमेरी राह दक्षिण हुई, तुम चले वामपंथ।।
तुम छोटे ना मैं बड़ा, समय बड़ा है वीर।
बंधु तुम चंचल बनो, मैं बनूं गंभीर।।
मेरे प्रश्नों के उत्तर, है ना तुम्हारे पास।
भूमि से मेरा नाता, तुम रहते आकाश।।
मेरा धर्म उधार का, तुमने दिया था नाम।
हर हठ हमने छोड़ दी, फिर काहे संग्राम।।